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मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

ओ लीलाशाह जा लाल ......(सिन्धी भजन )



१.मुहिंजा नटखट गोपाल .....
तुहिंजी समज में न आई चाल......
 कडे दिली कड़े भोपाल 
करे छदियो  सबिन खे निहाल ...



2. ब्रहम ज्ञान जो तू सरताज ...
करी थो अमृत जी बरसात ....
 जेदा फेरी तू दृष्टी ...
पासो फेरे थी सृष्टी ....


3.ओ मेह्गिबा जा लाल ...
तुहिंजी समज में न आई चाल .....
निन्दकियं क्यों कुपर्चार.....
उलटी मथा पई अहिरी मार....
...

4..तुहिंजी तू ही जाणी करतार .....
ननडा थी पया सत्संग पंडाल....
.साधक वधंदा विया बेशुमार .....
न गरंदी निन्दकन जी का दाल.....




5.ओ मेह्गिबा जा लाल ...
तुहिंजी समज में न आई चाल .....
लीला तुहिंजी न्यारी न्यारी......
ओ लीलाशाह जा लाल ......

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