bapu


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सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

मक्का मदीना(सत्संग का आश्रय लो…. )

महाभारत युध्द का सूत्रधार पद था ,
फिर भी श्रीकृष्ण की बंसी बज रही है ….
ऐसा नहीं समझना की श्रीकृष्ण के जीवन में केवल सफलता है
कितनी बार नंगे पैर ,
एक जोड़ी कपडो में परिस्थितियों को देखकर भाग जाना पड़ा..

एक वस्त्र में !
ऋशियों के द्वार का प्रसाद पाकर बलराम और शाम को जीना पडा..
अहंकारी विरोधी लोगों ने वह भी नहीं रहेने दिया श्रीकृष्ण
को तो किसी पहाडी पर अज्ञातवास में रहेना पडा …
पहाडी पर पहुंचे तो दुर्जनों को पता चला …
तो दुर्जनों ने पहाड़ी को भी आग लगा दी…
तो श्रीकृष्ण कैसे भी कर के बच निकले …


देखो श्रीकृष्ण के जीवन में ऐसा आता है..!!

तो तुम्हारे जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं ….


– फिर फरियाद क्यों करते ?
– दुखी क्यों होते ?
– अपने को क्यों कोसते ?



मोहमद पैगम्बर को इतना विरोध हुआ कि,
मक्का छुड़वा दिया विरोधियों ने और उन को मक्का छोड़कर मदीना पलायन करना पड़ा था..


श्रीकृष्ण को भी पहाड़ी से पलायन कर के और जगह जाना पडा था..
द्वारिका सुरक्षित करने के लिए कितने प्रयत्न किए लेकिन वो भी समुद्र में समा गई …

क्यों कि अपने आत्मा के सिवाय जो कुछ भी मिलेगा वो छुट जाएगा !
जिस को कभी नहीं छोड़ सकते वो हमारे अपने आत्मदेव हैं….
ओंकार का गुंजन करके हम उस आत्मदेव में विश्रांति पाये ..

सत्संग सुनके ज्ञान पाये …

भगवान कृष्ण साकार होके आए फिर भी अर्जुन का दुःख नहीं मिटा...
लेकिन ये ज्ञान सत्संग का आश्रय लिया तो अर्जुन का दुःख टिका नहीं ……

श्री रामजी साकार भगवान है ,फिर भी धोबी की लांछन लगाने की दुरमति नहीं मिटी
लेकिन श्रीराम जी का ज्ञान पाने वाले हनुमान जी ने सुमति पायी ..




सत्संग का आश्रय लो….

श्रेष्ठ जनों का आश्रय लो …

सन्मति को बढाए ऐसा सात्विक खुराक ,सात्विक वातावरण का आश्रय लो ..

देश,काल और वास्तु में सावधान रहेना

प्रभात को सूरज उगने से पहले 2/सव्वा 2 घंटे पहले ब्रम्ह मुहूर्त होता है ,
उसमें उठकर ध्यान भजन करें ..

श्रीकृष्ण ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर कुल्ला कर लेते और चिंतन करते …
जो सत् है ,चेतन है ,आनंद है …वो मेरा वास्तविक स्वरूप है .. !

आप भी ऐसी दिनचर्या करें ..

– जो कुछ दिन भर में कार्य करने होते उस की योजना प्रभात को ही तैयार कर ले. ..

– थोडी देर कुछ भी चिंतन ना करें …


hariom shanti ......jai bapu asharam..
jo ki hume itna sunder saral gyan de rhe hai...jai ho..

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