bapu


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गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

(bhajan)मैली चादर ओडके कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ

१.मैली चादर ओडके कैसे द्वार तुम्हारे आऊ




हे पावन परमेश्वर मे मन ही मन शरमाऊँ

मैली चादर ओडके कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ.....




२.तुने मुझको जग में भेजा निर्मल देकर काया

इस संसार में आकर मैंने इसको दाग लगाया

जनम जनम की मैली चादर कैसे दाग छुडाऊ

मैली चादर ओडके कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ.....








३.निर्मल वाणी पाकर तुझसे नाम ना तेरा गाया

नैन मून्धकर हे परमेश्वर कभी ना तुझको ध्याया

मन वीणा की तारें टूटी अब क्या गीत सुनाऊँ

मैली चादर ओडके कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ.....









४.इन पैरों से चल कर तेरे मंदिर कभी ना आया

जहाँ जहाँ हो पूजा तेरी कभी ना सीस झुकाया



हे हरिहर मैं हार के आया अब क्या हार चढ़ाऊ

मैली चादर ओडके कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ.....

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