bapu


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रविवार, 19 दिसंबर 2010

निंदको को इशारा

                                 निंदको को इशारा


                            
1.अरे संत के निंदको
 अन्न समजकर खाते हो तुम विष्टा




 कोई "आजतक" न तोड़ पाया
  हम गुरुभक्तो की निष्ठा





2.तुम पैदा कर नही सकते
  हमारे मन में भ्रांति
 "बापूजी" से हमे मिला है

 आनंद और शास्वत शांति



 हम मौज में है,
 क्यों आयेंगे तुम्हारी बातो में
 तुम सदा रहे अशांत,
 चैन की नींद नही रातो में....



कलम चली स्वार्थ से सदा,
स्वार्थ से केमरा तुम्हारा चला


मिडिया हमारा "ऋषि-प्रसाद"

सबका मंगल सबका भला



तू जब भी अपना मुह है खोलता
छोटे मुह बड़ी बात है बोलता

पर "कमल" बच्चा है..... अपने बापू जी का
झूठ नही बोलता.....




यदि तुम बाज नही आये
अब अपनी काली करतूतों से....
एक दिन अपना सर पिटोगे ....
अपने ही जूतों से.....



from manav
amravati (mah.)

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