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शनिवार, 25 दिसंबर 2010

प्रभु सेवक को भूल न जाना.....

1.तेरी माया प्रबल बड़ी है, जल फैलाए चुपचाप खड़ी है ।
 अगर मैं उसे पहचान न पाऊँ, जाल में उसके फँसता जाऊँ,
 तुम आकर के मुझे बचाना,प्रभु सेवक को भूल न जाना ।

2.कामदेव जब बन चलाए, प्रणय गीत जब मुझे लुभाए,
  काम-कामिनी मुझे रिझाए, भोग-विलास में मुझे फँसाए,
  तुम काम पाश से मुझे बचाना, प्रभु सेवक को भूल न जाना ।


3.कल की फाँस गले पड़ जाए, यमराज जब दर्श दिखाए,
 यमदूत घोर यमदंड चलाए, मन में भय और शोक बढ़ाए ,
  यम की फाँस से मुझे बचाना, प्रभु सेवक को भूल न जाना ।



4.मोह-ममता जब मुझे सताए, धन का लोभ मुझे लग जाए,
मान-प्रतिष्ठा अभिमान बढ़ाए, ईष्या द्वेष का घुन लग जाए,
विषय-विकारों से मुझे बचाना, प्रभु सेवक को भूल न जाना ।




5.कर्म-संस्कार प्रबल हो जाएँ, गलत राह पर मान ले जाए,
क्रोध मेरा विवेक भुलाए, आलस्य-प्रमाद मुझे भटकाए ।

चरणों में मेरे मन को लगाना, बापू  सेवक को भूल न जाना

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