दिनांक : १ अगस्त २००१ को मेरे पास मोबाइल पर बार बार फोन आ रहा था |
उस समय मैं सत्संग- पंडाल में पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी का रसपान कर रहा था |
सत्संग के कारण मैं मोबाइल बंद कर देता था |
उसके बाद आश्रम में मेरे लिए फोन आया |
वहां से उन्हें बताया गया कि मैं सत्संग में बैठा हूं, अभी बात नहीं हो सकती |
फिर उन्होंने पंडाल कार्यालय में भी फोन किया | वहां से भी यही उत्तर मिला |
अगले दिन उन्होंने (कैबिनेट गृह सचिव , भारत सरकार ) मोबाइल पर फोन करके
मुझ पर नाराज होते हुए और कहा :
‘आप मेरा नंबर देखकर भी मुझसे बात नहीं कर रहे थे |
’मैंने उनको समझाते हुए कहा : ‘में बापूजी का सत्संग सुन रहा था |’
तो वे बोले : क्या आप दो मिनट सत्संग छोड़कर मुझसे बात नहीं कर सकते थे |’
मैंने कहा : ‘में अभी अवकाश पर हूं
और सत्संग छोड़कर आपसे बात नहीं कर सकता |
’ तो वे बिगड़कर बोले : ‘सत्संग वत्संग क्या होता है ?
अभी दो मिनट में ट्रान्सफर हो जायेगा तो निकल जायेगा सत्संग वत्संग |’
इस घटना के करीब चार घंटे बाद मैंने एक अधिकारी को फोन करके कहा
मेरे साथ ऐसा हुआ है, आप उन्हें थोड़ा समझाएँ,
तो उन्होंने बताया कि अभी बात नहीं कर सकता,
क्योंकि उनका शास्त्रीभवन के पास एक्सीडेंट हो गया है
और अभी वे साहब सफदरजंग हॉस्पिटल में भर्ती हैं |
देखो, बड़े साहब मेरी बदली करवाने की धमकी दे रहे थे,
अब वे अपनी बदली घर से अस्पताल कर चुके थे |
सत्संग से क्या लाभ होता है इसे अगर हमारे अधिकारी व नेता समझ सकें तो
देश कितना समृद्ध और खुशहाल हो जाय और वे भी कितनी उन्नति करें |
श्री ए. के. सिंह (आई .ए.एस )
एस.डी.ऍम. (सब डिविजनल मजिस्ट्रेट )
हरिओम....
वाह मेरे साईं वाह..
जय हो....
I m very glad to see it .It will be a lesson to VIPs.
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